भारत जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है और इस दौरान कुछ ऐसा कर देना चाहता है जिससे फिर एक बार पूरे विश्व को भारत के लिए बेहद खास जगह बन जाए। कुछ ऐसे खास आयोजन पूरे साल करना चाहता है कि पूरा विश्व।
इस मेहमाननवाजी से अभिभूत हो जाये? वैसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ऐसे मुकाम पर तो पहुँच ही गया है कि ना पीछे, ना सामने कोई भी भारत की बुराइ नहीं करता है बल्कि कुछ एक दुश्मन देशों को छोड़कर लगभग हर देश भारत के साथ अपने संबंधों को मिठास से ही भर देना चाहता है। इसके अलावा भारत के उठाए मजबूत कदमों की भी तारीफ करने से कोई पीछे नहीं रहता है। अब मौका था दिल्ली में।
राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में अलग अलग देशों के विदेश मंत्री खट्टा हुए थे। इस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री ने ब्लैंक और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच में भी संक्षिप्त मुलाकात हुई। यूक्रेन में पिछले साल फरवरी से जंग शुरू होने के बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यह पहली आमने सामने की मुलाकात जिसमें कुछ ऐसा हो गया कि रूसी विदेश मंत्री को भारत से माफी मांगनी पड़ी। लावरोव ने भारत से माफी भी मांगी। साथ ही पश्चिमी देशों पर अपनी भड़ास भी निकाली। दरअसल, रूसी विदेश मंत्री जे 20 के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में जब बैठक को संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान सर गई थी। सबसे पहले कई पश्चिमी देशों के अभद्र व्यवहार के लिए भारत और अन्य देशों के सहयोगियों से माफी मांगी। रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा, पश्चिमी देशों ने जी 20 एजेंडे को तमाशा बनाकर रख दिया है। अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के कारण जी 20 की बैठकों में यूक्रेन का मुद्दा हावी हो गया है। जिसकारण जी 20 में भारत की ओर से उठाए गए विकास केमुद्दे कहीं पीछे छूट गए लावा हमने भारत से माफी मांगते हुए कहा, मैं कई पश्चिमी प्रतिनिधिमंडलों के अभद्र व्यवहार के लिए भारत की मेजबानी और ग्लोबल साउथ के देशों के सहयोगियों से माफी मांगना चाहता हूँ।
पश्चिमी प्रतिनिधिमंडलों ने जी 20 एजेंडे पर काम को एक मजाक बनाकर रख दिया है। वहीं रोज़ की एक सरकारी न्यूज़ एजेंसी स्पूतनिक ने तो अपनी रिपोर्ट में छापा है। रूसी विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों को बैठक के दौरान फटकार भी लगाई। लावरोव ने कहा कि पश्चिमी देशों ने अपनी आर्थिक असफलता को रूस के सिर मढ़ने का काम किया है। लावरोव ने ये भी कहा, रोज़ आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देना जारी रखेगा। हम जी 20 में एक निष्पक्ष बातचीत के लिए तैयार है।
हमें उम्मीद है कि इस साल सितंबर में होने वाला दिल्ली शिखर सम्मेलन पश्चिमी देशों की स्वार्थी नीतिकार को थोड़ा कम करेगा। दरअसल लावरोफ़ को सबसे ज्यादा परेशानी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंक इनके रूप से हुई, जिन्होंने भारत के जी 20 सम्मेलन में इस बात को सबसे ऊपर रखा की रोज़ को इस युद्ध को खत्म करने की तरफ ध्यान देना चाहिए। लिंकन ने कहा, हम यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग करने में कामयाब रहे हैं, रूस को आइसोलेट किया जा चुका है। वहीं भारत के रुख पर बात करते हो कोई भी लिंकन ने कह
यहाँ जी 20 विदेश मंत्रियों की बैठक की।
शुरुआत में अध्यक्ष देश भारत ने भी साफ किया कि दुनिया शांति चाहती है और लगभग सभी देशों में एक सुर में इसका समर्थन किया है। इस तरह आप देख सकते हैं कि दुनिया की राय साफ है कि वो रूस को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। बस ब्लैंक अनके पर ही लावरोव बिगड़ गए और भारत से उन्होंने माफी मांगी। लावरोफ़ ने कहा, कई पश्चिमी प्रतिनिधिमंडलों के अभद्र व्यवहार के लिए मेजबान भारत और वैश्विक दक्षिण के देशों के सहयोगियों से माफी मांगना चाहता हूँ, जिन्होंने जी 20 एजेंडे पर काम को मजाक में बदल दिया है और वो अपनी आर्थिक विफलता को दूसरे देशों पर थोपना चाहते हैं।
खासकर रूस पर हम पश्चिमी देशों द्वारा आर्थिक संबंधों को बर्बाद करते हुए देख रहे हैं। वो इन संबंधों को हथियार और ऊर्जा क्षेत्रों में परिवर्तन कर रहे हैं।
वैसे मेजबानी जब भारत कर रहा हो उस समय में अमेरिका के रुख पर इस तरह से रोज़ का बिगड़ जाना और इस पर भारत से उनके माफी मांगने को आप कैसे देखते हैं? अपनी राय में कमेंट करें, जरूर बताएं।
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