70 साल से भारत को घुसने का मौका नहीं मिल रहा था, रूस का नुकसान करने के चक्कर में भारत का फायदा।

G7 देश ने लगी थी प्राइस केप

लास्ट ईयर के एंडिंग में G7 कन्ट्रीज में यूरोपियन यूनियन की कन्ट्रीज के साथ मिलकर रशियन को डाल के ऊपर प्राइस कैप लगा दी थी और अपने देश की इन्षुरेन्स कंपनीस को रशियन ऑइल के ऊपर प्राइस कैब के ऊपर वाली ऑल शिपमेंट को इंश्योरेंस कवर देने से रोक दिया था। यानी इन सभी वेस्टर्न देशों की इन्शुरन्स कंपनीज़ रशियन क्रूड ऑयल को तभी इन्षुरेन्स कवर दे पाती है अगर रशिया का वो क्रूड आइल प्राइस कैप से नीचे वाली कीमत के ऊपर बिका हो। इस वजह से रशिया से खरीदे जाने वाले क्रूड ऑयल के लिए इन्षुरेन्स कवर खरीदने में भारत के रिफाइनरीज़ को काफी दिक्कतें आ रही थी।

70 साल से भारत को घुसने का मौका नहीं मिल रहा था
70 साल से भारत को घुसने का मौका नहीं मिल रहा था

क्यू ऐ ऐसा कर रहे थे G7 ke देश?

ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि रशियन को डायल को इंश्योरेंस कवर देने वाली 60% कम्पनीज़ ब्रिटेन की थी, जबकि 80-90 परसेंट कम्पनीज़ जी सेवन या फिर यूरोपियन यूनियन के किसी देश में रजिस्टर्ड थी। इसी वजह से इन्शुरन्स कंपनीज़ जी सेवन और यूरोपियन यूनियन की गाइडलाइंस को स्ट्रिक्टली फॉलो कर रही थी। ना सिर्फ क्रूड ऑइल बल्कि फर्टिलाइज़र से लेकर फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स मेडिसिन्स केमिकल्स, आइरन स्टील भारत के एक्सपोर्टर्स को कई सारी चीजों के लिए इंश्योरेंस कवर लेने में काफी दिक्कतें आ रही थी। इन्षुरेन्स कवर देने वाली कंपनी से कम थी।

जबकि रक्षा के साथ भारत का ट्रेड अन्य काफी बढ़ते जा रहा है। अब यहाँ पर भी हम वेस्टर्न होल्ड ओपन कन्ट्रीज के ऊपर काफी डिपेंडेंट थे। भारत की इसी निर्भरता का इस्तेमाल वेस्टर्न देश रक्षा को कमजोर करने के लिए कर रहे थे। हालांकि उद्देश्य भारत को नुकसान पहुंचाना नहीं था बल्कि रक्षा को टारगेट करना था। मगर ये भी सच है की जी सेवन और रिओपन यूनियन के इस कदम से भारत को काफी परेशानियां फेस करनी पड़ रही थी। लेकिन अच्छा हुआ की वेस्टर्न देशों ने इस तरह का फैसला किया क्योंकि अब ये जो टेंपररी समय के लिए हमें परेशानी सहनी पड़ी, इसका भारत को

बहुत ही लॉन्ग टर्म फायदा होने वाला है। रेफरेन्स के लिए आपकी स्क्रीन के ऊपर इकोनॉमिक टाइम्स के आर्टिकल का स्क्रीनशॉट है, जिसके मुताबिक भारत की इन्शुरन्स कंपनीज़ रशियन ऑइल और रशियन फर्टिलाइजर्स के लिए एक बहुत ही बड़ा मरीन पूल बनाने जा रही है। दरअसल, क्रूड ऑइल और फर्टिलाइजर्स की शिपमेंट काफी कॉस्ट्ली होती है। कई मिलियन डॉलर्स की। ऐसे में इनका इन्षुरेन्स भी काफी कॉस्ट्ली होता है। कोई भी छोटी मोटी इन्षुरेन्स कंपनी कभी भी इतना बड़ा रिस्क बिल्कुल नहीं उठाती हैं और ग्लोबल फुट प्रिंट वाली कोई बड़ी इन्षुरेन्स कंपनी जो शिपिंग इन्षुरेन्स देती हो वो भारत में है नहीं।

अभि भारत की इन्षुरेन्स कंपनीस देंगी इन्श्योरेन्स।

ऐसे में अब ये डिसाइड हुआ है की भारत की स्टेट रन गवर्नमेंट इन्षुरेन्स कम्पनीज़ एक मरीन पूल लॉन्च करेंगी, जिसको भारत की प्राइवेट इन्षुरेन्स कंपनी जॉइन करेंगी। भारत की ये सारी इन्षुरेन्स कंपनीस मिलकर इसमें पैसे रेज करेंगी और एक स्पेसिफिक अमाउंट डिसाइड होगा, जिससे रक्षा से आने वाली शिपमेंट्स को इंश्योरेंस कवर दिया जाएगा। अभी के समय रशिया से आने वाली शिपमेंट्स को रशिया के सप्लायर से ही कवर कर रहे हैं लेकिन वो भी काफी प्रेशर में हैं। वहीं भारत ने पिछले साल इन्श्योरेन्स पुल को लेकर एक ट्रायल भी किया था। रशिया से आने वाले फर्टिलाइजर्स के लिए उस समय ₹500,00,00,000 का एक

इन्षुरेन्स स्कूल सेंट अप किया गया था जिसमें कई सारी इन्षुरेन्स कंपनी शामिल थी। वो ट्रायल काफी सक्सेसफुल रहा था। उसमें किसी को भी लॉस नहीं हुआ और सभी प्रॉफिट में गए थे। इसलिए ये बहुत ही बड़ा इन्श्योरेन्स पुल भारत के इन्शुरन्स कंपनीज़ द्वारा रेज करने का फैसला किया गया है। इसमें रशियन क्रूड आयल, रशियन, नैचरल गैस, रशिया से आने वाले फ़र्टिलाइज़र्स, प्रोजेक्ट, मशीनरी, ऑइल और कई सारी चीज़ो को कवर किया जाएगा। यानी भारत रक्षा के साथ अपने ट्रेड को खुद इन्षुरेन्स प्रोवाइड करेगा। इसके वैसे कई सारे फायदे होंगे। अगर ये इन्षुरेन्स स्कूल सक्सेसफुल होता है तो भारत ग्लोबल शिपिंग इन्षुरेन्स सेक्टर में

बहुत ही धमाकेदार एंट्री मार सकता है। रशिया से स्टार्ट करके हम बाकी देशों के साथ होने वाले ट्रेड को भी खुद इन्षुरेन्स प्रोवाइड कर सकेंगे। ना सिर्फ अपने ट्रेड बल्कि रीज़न के बाकी देशों को भी इन्षुरेन्स कवर दे सकेंगे। शिपिंग इन्षुरेन्स में हमें किसी भी वेस्टर्न देश के ऊपर इसके बाद डिपेंड नहीं होना पड़ेगा। अभी जो हमारे सी ट्रेड की इंश्योरेंस कॉस्ट जो भी वेस्ट इन देशों की इन्षुरेन्स कंपनीस को जाती है और जा रही है, ये देश में ही रहे गी भारत आत्मनिर्भर हो सकेगा। वैसे देखा जाये तो वेस्टर्न देशों ने सच में भारत के लिए एक नई ऑपर्च्युनिटी बना दिया है। आई होप की रक्षा के साथ

के लिए जो ये पहली बार इन्श्योरेन्स पुल बनाया जा रहा है, ये सक्सेसफुल रहें।

Leave a Comment

close
Share via
Copy link
Powered by Social Snap