2 साल का असला तैयार कर दिया, अमेरिका ब्रिटेन युक्रेन सब एक साथ आ गए, लेकिन कोई फायदा नही|

2 साल का असला तैयार कर दिया, अमेरिका ब्रिटेन युक्रेन सब एक साथ आ गए, लेकिन कोई फायदा नही |
2 साल का असला तैयार कर दिया, अमेरिका ब्रिटेन युक्रेन सब एक साथ आ गए, लेकिन कोई फायदा नही |

पिछले साल चौबीस फरवरी के दिन जब रक्षा ने यूक्रेन के अंदर अपने मिलिट्री ऑपरेशन्स की शुरुआत की थी उस समय किसी ने भी नहीं सोचा था कि ये युद्ध एक साल से भी ज्यादा समय तक चलेगा और अफगानिस्तान सीरिया इराक की तरह एक ऐलिस फॉर वाली शेप ले लेगा सबको लगता था की रशिया पंद्रह से बीस दिन या फिर ज्यादा से ज्यादा एक महीने के अंदर यूक्रेन की राजधानी कीव तक पहुँच जाएगा कीव को कब्जे में ले लेगा और यूक्रेन को नाटो ज्वॉइन करने से रोक देगा और फिर उसके बाद यूक्रेनियन प्रेसिडेंट से रेजिग्नेशन ले लिया जाएगा और यूक्रेन के अंदर एक नई प्रो रक्षा गवर्नमेंट इन्स्टॉल कर दी जाएगी जो अमेरिका या फिर नैटो कन्ट्रीज नहीं बल्कि रशिया के फेर में काम करेगी लेकिन जैसा सोचा था वैसा कुछ हुआ नहीं एक ये भी रीज़न है की जो पॉलिटिक्स या फिर किसी भी वोर के परिणामों को पहले से प्रिडिक्ट करना या फिर ये क्लेम करना है की ऐसा होकर रहेगा ये जो पॉलिटिक्स मैं थोड़ा गलत होता है

आज कल के युद्ध जो पॉलिटिक्स की तरह काफी अनसर्टन होते जा रहे हैं कोई भी देश किसी का भी साथ दे रहा है और कोई भी किसी के भी खिलाफ़ खड़े हो रहा है अगर यूक्रेन युद्ध के साथ जो पॉलिटिक्स ऐंगल ना जुड़ा होता तो अब तक यूक्रेन युद्ध कब का खत्म हो जाता क्योंकि यूक्रेन की मदद के लिए ना ही नाटो देश आते और ना ही अमेरिका इस समय भी यूक्रेन जो एक साल से रक्षा के सामने टिका है यूक्रेन जो रक्षा के खिलाफ़ युद्ध लड़ रहा है

ये अमेरिका और नाटो देशों के स्तर पर ही है वरना रशिया और यूक्रेन की मिलिट्री फायर पावर में कोई भी कंपैरिजन नहीं बनता है ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स में रशिया सेकंड नंबर के ऊपर हैं जबकि यूक्रेन पंद्रह वें नंबर के ऊपर है कई सारी रिपोर्ट निकल कर आ रही है की अब तो यूक्रेन को हथियार देते देते नाटो देशों के पास हथियारों के स्टॉक्स अब धीरे धीरे खत्म हो रहे हैं नाटो देशों के ऊपर अगर आज की डेट में हमला होता है तो उनके पास खुद को डिफेंड करने के लिए भी हथियार पर्याप्त संख्या में नहीं बचे है पूरा नाटो अमेरिका यूक्रेन सभी एक तरफ है क्या सैन्य मदद क्या आर्थिक मदद और ऊपर से रशिया के ऊपर कड़े से कड़े प्रतिबंध थोप दिए गए हैं लेकिन रशिया आज भी सबके सामने अकेले खड़ा है इस वजह से वेस्टर्न देश अब ये इन्टेलिजेन्स गैदर करने की कोशीश कर रहे है की आखिरकार रशिया के पास हथियारों का और कितना स्टॉक है और रहिस युद्ध को और कितना लम्बा खींच सकता है क्योंकि अभी तक रशिया ने किसी भी देश से हथियार नहीं लिए है

इसी कड़ी में अब लिथुआनिया की इन्टेलिजेन्स एजेंसी ने क्लेम किया है की उनको ये इन टेल मिल गया है की रक्षा अपने नॉमिनेशन स्टॉक फाइल से इस युद्ध को कितना लम्बा खींच सकता है रेफरेन्स के लिए आपकी स्क्रीन के ऊपर हिंदुस्तान टाइम्स के आर्टिकल का स्क्रीनशॉट है जिसके मुताबिक लिथुआनिया की इन्टेलिजेन्स एजेंसी ने क्लेम किया है की रशिया के पास यूक्रेन युद्ध को दो साल तक और चलाने के रिसोर्सेस ऑलरेडी अवेलेबल है मैं क्यों पर आप देख सकते हैं की लिथुआनिया यूरोपीय यूनियन का देश है और रशिया का जो कॉलिंग रेड कॉरिडोर है उसके साथ लिथुआनिया का बॉर्डर लगता है कितने पास होते हुए भी लिथुआनिया की कई बार आलोचना करता है रशिया का स्ट्राइक रेट एक माना जाता है

साल दो हज़ार चार में अमेरिका ने लिथुआनिया को नाटो में शामिल कर दिया था इसलिए लिथुआनिया भी बाकी नाटो मेंबर्स की तरह रशिया की काफी आलोचना करता है लिथुआनिया इन्टेलिजेन्स के चीफ का कहना है की जो उनके पास है उसके मुताबिक इस समय रक्षा के पास इतना असलहा बारूद और रिसोर्सेज़ है की वो यूक्रेन युद्ध को दो साल तक और चला सकते हैं लेकिन ईरान और नॉर्थ कोरिया के ऊपर भी काफी कुछ डिपेंड करता है अगर ये देश की मदद करते हैं तो ये युद्ध और भी लम्बा खींच सकता है लिथुआनिया इन्टेलिजेन्स का कहना है की सैंक्शन्स के कारण रशिया को इस युद्ध को फंड करने में

कोई भी नुकसान नहीं हुआ है क्योंकि रशिया

अपने वेलफेयर प्रोग्राम्स का पैसा मिलिट्री के लिए डाइवर्ट कर रहा है सैंक्शन्स के बावजूद वेस्टर्न देशों की टेक्नोलॉजीज़ रक्षा के पास आज भी पहुँच रही है क्योंकि रशिया बीच में कई सारे इंटरमीडियरीज का इस्तेमाल कर रहा है यानी वेस्टर्न देशों से टेक्नोलॉजी पहले किसी न्यूट्रल कंट्री में जाती है वहाँ से दो तीन कंट्री में और पास होती है और फिर एट द एंड जाकर रशिया के हाथ लगती है रशिया आज भी वेस्टर्न देशों के आइटम्स को सोर्स कर रहा है जो डिफेन्स मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होती है

चितवनिया के इंटेलिजेंस चीफ का ये भी कहना है कि अगर ये युद्ध कॉस्ट्ली पड़ेगा यानी रेशियो को अगर इसके ऊपर ज्यादा खर्चा आएगा तो इसको और भी लंबे समय तक खींचा जाएगा और ये युद्ध आने वाले कई सालों तक चल सकता है खैर आपको लगता है की क्या युद्ध को लंबा खींचने की जो रशिया की टेकनीक हैं जो रशिया की स्ट्रैटिजी है क्या वो सही स्ट्रैटेजी है हाँ या फिर ना नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर बताएं

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