भारतीय सरकार एक बार फिर से
भारतीय सरकार ने एक बार फिर एक ऐसा कदम उठाया है जिससे चाइना को बहुत ही बड़ा झटका लगने वाला है क्योंकि जीस चीज़ के लिए हम चाइना के ऊपर पूरी तरह से निर्भर थे। अब उसी आइटम को भारत एक्सपोर्ट करने की तैयारी कर रहा है। पूरा मामला क्या है, उससे पहले मैं आपको बता दूँ की पीला। इस स्कीम के जरिये मोदी सरकार अलग अलग कम्पनीज़ को टैक्स रिबेट सैन कॉन्शन्स इम्पोर्ट एक्सपोर्ट ड्यूटी में कॉन्शन्स के साथ साथ लैंड ऐक्विज़िशन प्रोसेसर को आसान बनाने जैसी मदद ऑफर करती है।
पीला इस स्कीम जब भारतीय सरकार ने पहली बार लॉन्च की थी, उस समय भारत के कई सारे एक्सपर्ट्स ने कहा था की भारतीय सरकार को ये सब इन्सेंटिव कम्पनीज़ को बिलकुल नहीं देनी चाहिए। इससे टैक्स कलेक्शन में कमी होगी।
मैन्युफैक्चरर्स
पुराने मैन्युफैक्चरर्स के साथ ये बिलकुल सही नहीं होगा और ये फेर पॉलिसी नहीं है, लेकिन पीला इस स्कीम ने अपने सभी आलोचकों के मुँह बंद कर दिए हैं और ऐसा नहीं है की आँखें बंद करके किसी भी आइटम के लिए पहली स्कीम अनाउंस की जा रही है। सबसे पहले उन आइटम्स को इन्क्लूड किया गया है जिनको हम बड़ी मात्रा में विदेशों से इंपोर्ट करते हैं यानी दूसरे देशों से खरीदते हैं ताकि दूसरे देशों और खासकर चाइना के ऊपर से हमारी डिपेंडेंस बिल्कुल खत्म हो जाये। ठीक इसी तरह की एक और आइटम है।
स्पेशिलिटी स्टील जिनको नहीं पता की स्पेशिलिटी स्टील क्या होता है और किस काम के लिए इस्तेमाल किया जाता है? उनकी जानकारी के लिए बता दूँ कि ये एक तरह का वैल्यू ऐडेड स्टील होता है।
जब हम नॉर्मल स्टील में और कोई एलिमेंट ऐड करके उसके ऊपर कोटिंग या प्लेटिंग करते हैं या किसी और एलिमेंट के साथ उसको ही ट्रीटमेंट देकर उसकी स्ट्रेंथ या हार्डनेस को और भी ज्यादा बढ़ाते हैं, उसकी प्रॉपर्टीज़ को एनहान्स करते हैं, जैसे उसको हिट रेसिस्टेंट बनाना या क्रोसिन रेजिस्टेंट बनाते हैं तो वो स्पेशिलिटी स्टील कहा जाता है। जीसको कई बार हाइग्रेड या फिर स्टील भी कहा जाता है।
ये स्पेशिलिटी स्टील तो बहुत ही स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स में यूज़ होता है जैसे की डिफेन्स सेक्टर में कई तरह के हथियार मैनुफैक्चर करने में स्पेस सेक्टर में रॉकेट सैटेलाइट्स वगैरह मैनुफैक्चर करने में इसका इस्तेमाल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में भी किया जाता है।
एरोस्पेस इंडस्ट्री जैसे प्लेन फाइटर जेट्स और फाइटर जेट्स के पार्ट इसी स्पेशिलिटी स्टील से ही मैनुफैक्चर होते है। नॉर्मल स्टील के प्रोडक्शन के मामले में भारत दुनिया भर में सेकंड पोज़ीशन के ऊपर था। लेकिन जब बात स्पेशिलिटी स्टील की आती है, उसको हम विदेशों और खास कर चाइना से इंपोर्ट करते थे।
नंबर्स की बात करें तो पैन्डेमिक वाले साल 2020 से 21 में भारत में 20,000 करोड़ रुपये यानी लगभग चार मिलियन डॉलर्स का अकेला स्पेशल ग्रेड स्टील इंपोर्ट किया था, जिसका मेजोरिटी हिस्सा चाइना से ही आया था। लेकिन अब भारतीय सरकार ने इनके इंपोर्ट के ऊपर रोक लगाने का पूरा मन बना लिया है। रेफरेन्स के लिए आपकी स्क्रीन के ऊपर डायनामिक टाइम्स के आर्टिकल का स्क्रीनशॉट है जिसके मुताबिक भारत ने स्पेशिलिटी स्टील के लिए पीली टू पॉइंट लॉन्च करने का फैसला किया है।
पिछले पीली वन पॉइंट उसकी में 27 स्टील कंपनीज़ ने मिनिस्ट्री ऑफ स्टील के साथ कुल 57 एमओयू साइन कर ली है। ये सारी कम्पनीज़ 6300 ₹22,00,00,000 इन्वेस्ट करने वाली है। स्पेशिलिटी स्टील के लिए जो प्ली टू पॉइंट वो लॉन्च की जा रही है, उसके लिए भारतीय सरकार ने स्टील कंपनी से सजेशन्स भी मांगी है। सुझाव मांगे हैं क्योंकि एट द एंड ऑफ द डे प्रोडक्शन तो स्टील कंपनी से नहीं करनी है। भारत सरकार को उम्मीद है की स्पेशिलिटी स्टील के लिए टू पॉइंट वो लॉन्च करने के बाद डोमेस्टिक स्टील सेक्टर में 30,000 करोड़ रुपये की इन्वेस्टमेंट आएगी। 25 मिलियन टन की एडिशनल स्टील कपैसिटी बढ़ जाएगी और भारत के अंदर 50,000 नई जॉब्स क्रिएट होंगी। इस समय भारत की जीडीपी में स्टील का योगदान 2% है। मोदी सरकार इसको 2% से बढ़ाकर 5% तक करना चाहती है।
इसके साथ ही मोदी सरकार ने स्टील सेक्टर में कार्बन एमिशन को कम करने के ऊपर भी ज़ोर दिया है। इस समय कार्बन एमिशन का 12% अकेले स्टील सेक्टर से ही आ रहा है। मोदी सरकार ने स्टील कंपनी से कहेगी ग्रीन स्टील और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के ऊपर ज़ोर दिया जाए। क्लाइमेट चेंज के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए तरक्की की जाए। भारत सरकार की तरफ से स्टील कंपनी इसको जो भी मदद चाहिए, भारतीय सरकार सब कुछ प्रोवाइड करेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है की अगर स्पेशिलिटी स्टील की मैन्युफैक्चरिंग भारत में शुरू हो गई तो चाइना से इंपोर्ट में कमी तो आएगी।
लेकिन इसके साथ साथ भारत में ऐसी और भी कई सारी इंडस्ट्री जाएंगी जिनमें स्पेशिलिटी स्टील का इस्तेमाल काफी ज्यादा होता है, क्योंकि उनको फिर भारत में ही सारा रॉ मटीरीअल प्लीज़ अली अवेलेबल हो जायेगा। उसके साथ साथ हम स्पेशिलिटी स्टील से अपनी लोकल डिमांड को पूरी करने के बाद इसको दूसरे देशों को भी एक स्पोर्ट कर पाएंगे। वहा भी हम चाइना के मार्केट शेयर को डेन्ट करेंगे। मिला स्कीम में इन्सेंटिव देने को लेकर वैसे मोदी सरकार का कई लोग विरोध भी करते हैं, लेकिन आप नीचे कमेंट करके बताइए की आपके अकॉर्डिंग क्या पीला? इस स्कीम मोदी सरकार का सही फैसला है। हाँ या फिर ना