चीन पर भारत ने SOP तैयार कर दी, अमेरिका भी हक्का बक्का रह गया, एक महीने में भारत ने एक्शन ले लिया।

चीन पर भारत ने SOP तैयार कर दी, अमेरिका भी हक्का बक्का रह गया, एक महीने में भारत ने एक्शन ले लिया।

पिछले महीने जब चाइना का सपाई बलून अमेरिका की एसपेस पे मिला था,

इंटरनेशनल मीडिया ने उसके बारे में काफी डिस्कस किया था। चाइना ने क्लेम किया था की वो वेदर बैलून है यानी वो मौसम की जानकारी इकट्ठा करता है। लेकिन असल में उस पैदल उनके साथ कैमरा रडार कोर्स ऐन्सर से अटैच थे जो नीचे की साइड लटके थे।

इसलिए इस पैदल उनको इन्टरनैशनल मीडिया ने उस समय इसको चाइनीज सर्विलैंस बलून कहा था। कई घंटों तक मॉनिटर करने के बाद इसके साथ लगे पे रोड को चेक करने के बाद अमेरिका ने इसको उस समय शट डाउन किया था। हालांकि उसको लेकर भी अमेरिका का उस समय

काफी मजाक बना था क्योंकि चाइना के वेदर बल उनकी कॉस्ट 10,000 यूएस डॉलर से भी कम थी। लेकिन अमेरिका ने इसको शट डाउन करने के लिए अपने 122 फाइटर जेट का यूज़ किया था जिसको फ्लाइ करने की पर आर कॉस्ट थी। 60 से 90,000 यूएस डॉलर और जिंस ए टू इन मिसाइल से अमेरिका ने इस बैलून को शट डाउन किया। उसकी कॉस्ट थी पांच से 6,00,000 यूएस डॉलर्स। कहने का मतलब है की अमेरिका ने मामूली से चाइनीज बल उनको शूट डाउन करने के लिए ए टू ईट मिसाइल्स का यूज़ करके आधा मिलियन डॉलर्स खर्च कर लिए थे जबकि ये काम काफी सस्ते में निपट सकता था।

ऐसा नहीं है कि इस तरह का बैलून बस अमेरिका की ये स्पेस में ही मिला है। इस इन्सिडन्ट के बाद अमेरिका ने क्लेम किया है की चाइना के पास कई सारे अलग अलग साइज के सर्विलांस बलूंस हैं जिनको वो दुनिया भर के पांच कॉन्टिनेंट में सर्विलांस ऐक्टिविटीज़ के लिए यूज़ करता है। मीडिया में क्लेम किया गया है की किस प्रकार का सर्विलांस बैलून अमेरिका की स्पेस को मिला था। संभालुन चाइना ने जपं वियतनाम, ताइवान, फिलीपींस और इवन इंडिया के खिलाफ़ भी यूज़ किया है। इंडिया के लिए कहा गया कि चैनल ने अपने स्पाइनल उनकी मदद से भारत के स्ट्रैटिजिक अंडमानआइलैंड्स के ऊपर तीन 4 दिन तक सर्विलांस मिशन्स किए थे।

हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है कितनी नहीं इस बारे में भारतीय सरकार ने अभी तक इस से रिलेटेड कोई भी जवाब नहीं दिया है। लेकिन अब इस तरह की सिचुएशन से निपटने के लिए एसओपी तैयार करने का फैसला किया गया है। ऐसा पॉसिबल है की चाइना का सर्विलांस बैलून कल को भारत की एयर स्पेस में भी आये तो उस समय कौन से प्रोटोकॉल्स फॉलो करने है, इंडियन एयरफोर्स की सिचुएशन के साथ कैसे डील करेगी? क्या प्रोसीज़र फॉलो किए जाएंगे? ये सब पहले से ही रेडी रखा जा रहा है।

एनडीटीवी इंडिया

रेफरेन्स के लिए आपके ऊपर एनडीटीवी इंडिया के आर्टिकल का स्क्रीनशॉट है जिसके मुताबिक सस्पेक्टेड चाइनीज पानी बैलून्स के लिए भारत ऐक्शन प्लैन को फाइनलाइज़ कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्यूचर में अगर अमेरिका जैसी घटना भारत को फेस करनी पड़ती है तो उस समय चाइनीज पाई बलून को कितनी देर तक मॉनिटर करना है? अगर उस बलून के नीचे हाइली पॉपुलेटेड एरिया है। हजारों लाखों लोग रहते हैं तो फिर उस सिचुएशन में क्या करना है? अगर बल उनके ऊपर लगे पेलोड को चेक करना हो तो वो कैसे किया जाएगा या फिर बलून को मार गिराने के लिए कौन से प्लैटफॉर्म के कौन से हथियार का इस्तेमाल किया जाए और इस पूरी सिचुएशन को कैसे रिस्पॉन्ड किया जाये? ये सब डिस्कस किया जा रहा है।

इसके साथ ही इस तरह के बल उसको डिडक्ट करने के लिए भारत के लिए डांस कितने सक्षम हैं, उनमें क्या चेंजेस या फिर मॉडिफिकेशन चाहिए, ये भी डिस्कस किया जा रहा है। इस तरह की फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को लेकर इन्टरनैशनल लॉस क्या कहते हैं 60,000 फिट की हाइट के ऊपर वाली ऑब्जेक्ट के लिए इन्टरनैशनल रोज़ किया है। ये सब कुछ स्टडी किया जा रहा है ताकि भारत चाइनीज बाइबल उनके ऊपर जो भी ऐक्शन ले वो इंटरनेशनल लॉ यानी अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में हो। भारत की आर्म्ड फोर्स इस इन्टेलिजेन्स एजेन्सी के साथ मिलकर इस तरह की सिचुएशन से00:03:04दिल करने के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीज़र यानी एसओपी तैयार कर रही है। जब ये सोप पूरी तरह से तैयार हो जाएगी तो इसको भारत सरकार से फाइनल अप्रूवल के लिए भेज दिया जाएगा।

उसके बाद फिर जब भी चाइनीज, फाइव बैलून्स भारत की एयर स्पेस में आये तो फिर इसी सोप को फॉलो करके उनके ऊपर ऐक्शन लिया जाएगा। नॉट ओनली चाइना कल को अगर कोई टेररिस्टों ऑर्गेनाइजेशन भी पाकिस्तान की तरफ से इस तरह के बैलून्स का इस्तेमाल करके भारत के ऊपर हमला करती है तो फिर उस सिचुएशन में भी समे ही सोप यूज़ की जाएगी। यानी ये हर तरह की फॉरेन ऑब्जेक्ट के लिए वैलिड होगी।

अब इस तरह की अन्य सोप्स बहुत इम्पोर्टेन्ट इसलिए भी है क्योंकि हमें नहीं पता होता है की कल को चाइनीज पाई बैलून हमें कौन सी लोकेशन के ऊपर मिले? क्या पता कल को नीचे एक मिलिट्री कंपाउंड हो, हॉस्पिटल हो, सिविलियन एरिया हो, कोई एअरपोर्ट हो या फिर जो बैलून के ऊपर पेलोड लगा हो वो कितना हेवी हो और वो नीचे जमीन के ऊपर गिरने के बाद कितना डैमेज कर सके, उसमें एक्स्प्लोसिव हो या फिर नहीं। हर एक सिचुएशन के साथ अलग अलग तरीके से डील करना पड़ता है। इसलिए इस तरह की एसओपी तैयार की जा रही है।

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