जी 20 देशों के विदेश मंत्रियों की मीटिंग के बाद आज सुबह न्यू दिल्ली में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की भी एक मीटिंग हुई। जापान के विदेश मंत्री जोशी मासा अय्याशी जी 20 के विदेश मंत्रियों की मीटिंग को अटेंड नहीं कर पाए लेकिन वो क्विड के विदेश मंत्रियों की मीटिंग को अटेंड करने के लिए पिछले कल देर शाम को भारत टाइम के ऊपर पहुँच गए थे। मीडिया में कुछ ऐसी खबरें आई थीं कि यूक्रेन के ऊपर भारत के न्यूट्रल स्टैंड को लेकर जापान ने जी 20 में अपने विदेश मंत्री को नहीं भेजा। ऐसा बिल्कुल नहीं था। जापान के अंदर डोमेस्टिक पॉलिटिक्स इस समय काफी चरम पर है और वहाँ पर कुछ पार्लियामेंट अफेयर्स थे।
क्विड ( QUAD ) देशों के विदेश मंत्रियों की भी एक मीटिंग
जिनके कारण जापान के विदेश मंत्री भारत नहीं आ पाए थे। मीटिंग में हिस्सा लेकर उन्होंने ये चीज़ प्रूफ कर दी है। ये तो हमें पता है की किस तरह से अमेरिकन ब्लॉक के वेस्टर्न देशों ने भारत में हो रही जी 20 की मीटिंग्स को हाइजैक कर लिया है और रशिया यूक्रेन वॉर की रट लगाए बैठे हैं। एक जॉइंट स्टेटमेंट तक के ऊपर सहमति नहीं बन पा रही है। बाकी तो छोड़ ही दो खबर निकल कर आ रही है की 20 की मीटिंग की तरह अमेरिका चाहता था की आज सुबह जो क्विड की मीटिंग हुई उसमें रशिया यूक्रेन युद्ध के मुददे को भी उछाल आ जाये। अमेरिका की तरफ से भारत के सामने ये डिमांड रखी गयी की जो आज की क्विड मीटिंग की जॉइंट स्टेटमेंट होगी।
किसके ऊपर चारों मेंबर्स इंडिया, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन सब के सिग्नेचर होंगे? उस में रशिया यूक्रेन वॉर को भी मेन्शन किया जाए और रशिया को कंडम किया जाए। लेकिन भारत ने अमेरिका की इस मांग को मानने से साफ इनकार कर दिया। अब क्योंकि ऑस्ट्रेलिया और जापान ये दोनों ही देश आंख बंद करके अमेरिका को फॉलो करते हैं। अमेरिका के कहने पर अपनी फॉरन पॉलिसी को शेप करते हैं। ऐसे में यहाँ पर वन वर्ष थ्री की सिचुएशन पैदा हो गई थी। भारत चाहता था की क्वैड में इंडो पैसिफ़िक रीज़न कोई डिस्कस किया जाए, लेकिन सामने तीन देश
और यहाँ पर अकेला भरा था। क्वेर ने जो जॉइंट स्टेटमेंट जारी की है, उसका स्क्रीनशॉट आपके स्क्रीन के ऊपर है। भारत की लाख कोशिशों के बावजूद अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ये तीनों देश यूक्रेन कॉनफ्लिक्ट को कवर्ड की जॉइंट स्टेटमेंट में मेन्शन करवाने में पूरी तरह से सफल रहे। स्टेटमेंट में कहा गया है की यूक्रेन में कॉनफ्लिक्ट से रिलेटेड अपने रिस्पॉन्स के बारे में हम क्वाइट के देश डिस्कशन करते रहेंगे। इस कॉनफ्लिक्ट के कारण लोगों को काफी कुछ सहना पड़ रहा है। नुक्लेअर वेपन्स के इस्तेमाल का खतरा और भी बढ़ गया है। हमारा मानना है की यूएन चार्टर
और इंटरनेशनल लॉस के अकॉर्डिंग यूक्रेन में शांति आनी चाहिए। डिस्प्यूट्स का पीसफुल यानी सभी मतभेदों का शांतिपूर्ण तरीके से निपटारा होना चाहिए। रूल बेस्ट इंटरनेशनल ऑर्डर स्थापित होना चाहिए। टेरिटोरियल इंटिग्रिटी और ट्रान्सपैरेंसी का सम्मान होना चाहिए। गौर करने वाली बात ये है की ये जो जॉइंट स्टेटमेंट थी यानी कॉनफ्लिक्ट वर्ड का इस्तेमाल किया गया ना की वोर का। भारत जॉइंट स्टेटमेंट में वोर वन के इस्तेमाल के बिल्कुल खिलाफ़ था। जी 20 में भी हमने कोशिश की थी, लेकिन वहाँ पर कोशिश सफल नहीं हुई। एट लिस्ट कवर्ड की मीटिंग में भारत सफल हुआ।
दूसरा पॉइंट यहाँ पर ये भी था की रक्षा का नाम एक बार भी नहीं लिया गया। बस ये कहा गया कि यूक्रेन में जो कॉनफ्लिक्ट हो रहा है। भारत की जॉइंट स्टेटमेंट में रशिया का नाम मेन्शन करने के भी खिलाफ़ था। म्यांमार, नॉर्थ कोरिया, साउथ चाइना सी वगेरह। क्वाड के जॉइंट स्टेटमेंट में और भी कई सारे नाम मेन्शन है, लेकिन के बारे में जो पैराग्राफ था उसमें रशिया वर्ड को एक बार भी मेन्शन नहीं किया गया है। तीसरी चीज़ यहाँ पर ये भी है कि इस युद्ध के लिए क्वाइट की जॉइंट स्टेटमेंट में रक्षा को दोषी बिल्कुल नहीं ठहराया गया है और ना ही कॉन्डम किया गया है। ये तीन चीजें थी
भारत की डिमांड के ऊपर?
जो भारत की डिमांड के ऊपर हुई, लेकिन हाँ, जॉइंट स्टेटमेंट में यूक्रेन युद्ध को मेन्शन किया गया। वैसे आपको लग रहा होगा की इन सबसे आखिर क्या फर्क पड़ता है? आखिर थी तो ये एक जॉइंट स्टेटमेंट ही फरक पड़ता है। रशिया और बाकी देशों को एक मैसेज आता है की भारत अब भी इस इश्यू को लेकर पूरी तरह से न्यूट्रल आए और ना ही रशिया का साथ दे रहा है और नहीं यूक्रेन का या फिर अमेरिका के दबाव में आ रहा है। इस वजह से हम जो प्रेशर के साथ किसी भी डील या फिर इश्यू को लेकर नेगोशिएशन करेंगे, उस समय भारत की बात का वजन होगा और इंडिया के डिप्लोमैट्स अच्छी
जो कंफर्टेबल पोज़ीशन के ऊपर होंगे। खैर, आपको क्या लगता है की क्या क्विड में और भी मेंबर्स को जोड़कर क्वाड प्लस बनाना चाहिए? हाँ या फिर ना नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर बताएं।
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